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5 दिव्यांगों की एक टीम ने 40000 से अधिक फेस मास्क और 525 पीपीई किट बनाई

जयपुर। नारायण सेवा संस्थान के दिव्यांग कोविड-19 के कठिन समय में पीपीई किट, फेस मॉस्क, फेस शील्ड, ग्लव्स, बॉडी कवर बनाकर आत्मानिर्भर बनने के रास्ते पर चल पड़े हैं। राष्ट्रीय सिलाई मशीन दिवस पर बैकलाइन कार्यकर्ताओं के रूप में कई पुरुषों और महिलाओं ने बच्चों, गरीबों और जरूरतमंदों के लिए पीपीई किट, फेस मॉस्क की सिलाई शुरू की है। संस्थान के 5 दिव्यांगों की एक टीम ने 40000 से अधिक फेस मास्क और 525 पीपीई किट जरूरतमंदों, रेलवे कर्मचारियों, पुलिस, वंचितों और पिछड़ों को देकर सेवा कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के सागर जिले से 28 साल के दिव्यांग देवेंद्र लोधी भी उदयपुर के नारायण सिलाई केंद्र में स्किल ट्रेनिंग के बाद पीपीई किट, फेस मॉस्क, फेस शील्ड अभियान में योगदान दे रहे हैं। देवेंद्र कहते हैं कि नब्बे के दशक में महिलाएं अपने घरों में सिलाई मशीन के जरिए आजीविका में सहयोग करती थी। धीरे-धीरे समय बदला और मशीनें महिलाओं के हाथों से पुरुषों के हाथों में चली गईं और आज दोनों कंधे से कंधा मिलाकर "आत्मानिर्भर" बनकर घर को चलाने और अपने परिवार को बेहतर भविष्य देने के साथ समाज में सहयोग कर रहे हैं। नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने अपने बचपन का एक अनुभव साझा किया, “जब मैं बच्चा था, हमारे पास हमारे पसंदीदा दर्जी थे जो हमारे स्कूल की वर्दी, त्योहार और शादियों के परिधानों की सिलाई करते थे, तब भी जब कोई बिजली उपलब्ध नहीं थी। वे व्यापक मुस्कान के साथ पूरे दिन अथक परिश्रम करते थे।”



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