- डॉ अनिल तांबी -
न्यूरोप्लास्टिसिटी, न्यूरोसाइंस का यह अविष्कार आपके जीवन को बेहतर बनाने में उपयोगी साबित हो सकता है। कुछ वर्षों पहले तक यह माना जाता था कि वयस्क व्यक्ति का मस्तिष्क एक बार विकसित होने के बाद उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन किया जाना संभव नहीं है परंतु आधुनिक अनुसंधान बताते हैं कि जब तक हम जीवित है, तब तक मस्तिष्क अपने आप को नियमित रूप से Remould करता रहता है। हमारे मस्तिष्क में नए न्यूरॉन्स के बनने तथा उनके मध्य संबंधों के और घनिष्ठ होने की प्रक्रिया को न्यूरोप्लास्टिसिटी कहते हैं। इससे हम नई चीजें तथा आदतें सीखते हैं। जैसे यदि किसी व्यक्ति का चिंता करने का स्वभाव है और वह नियमित रूप से गाइडेड इमेजरी का अभ्यास करें तो वह रिलैक्स रहने की आदत सीख सकता है। अब ब्रेन एक नए डिफॉल्ट सेटिंग में आ जाता है अर्थात जैसे ही कोई चुनौतीपूर्ण घटना घटी, जहां पहले वह तनाव व चिंताग्रस्त हो जाता था, अब वह शांत रहने लगता है.
Self-directed न्यूरोप्लास्टिसिटी वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम मस्तिष्क को वांछित गुण एवं आदतों के लिए प्रशिक्षण दे सकते हो। यदि हम नियमित रूप से कुछ हफ्तों एवं महीनों तक गाइडेड इमेजरी का अभ्यास करें तो हम ब्रेन में नए न्यूरॉन्स का निर्माण कर सकते हैं। प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनि रूप ध्यान एवं गुण ध्यान का अभ्यास करके अपनी सोच एवं गुणों में सकारात्मक परिवर्तन लाते रहे हैं। आइए अब हम यह जानते हैं कि गाइडेड इमेजरी का अभ्यास कैसे करें। प्रातः काल शांत स्थान पर आलती-पालती मारकर बैठ जाएं। आंखें बंद कर ले। शुरू में कुछ लंबी गहरी श्वास लेकर अपने शरीर को ढीला छोड़ने का अभ्यास करें। कल्पना करें कि आप एक सुंदर प्राकृतिक वातावरण में पहुंच गए हैं और वहां विचरण कर रहे हैं। ध्यान रहे आप केवल मानसिक रूप से ही यह नहीं सोचें, बल्कि साथ ही साथ आपके मन में इमोशंस भी उठने चाहिए तथा उनको आपको महसूस भी करना चाहिए, अन्यथा केवल सोचने मात्र से पूरा परिणाम नहीं मिलेगा। एक बार जब आप पूरी तरह से रिलैक्स हो जाएं तब आप उन गुणों का विस्तारपूर्वक कल्पना करें तथा महसूस करें कि वह गुण आप में आ गया है जैसे आप आत्मविश्वास पैदा करने का अभ्यास कर रहे हैं तो आप महसूस करें आप में आत्मविश्वास आ गया है। अब आप कैसे ऑफिस में चल रहे हैं, कैसे लोगों से बात कर रहे हैं, कैसे आप डिसीजंस ले रहे हैं, कैसे लोग आपकी तरफ सम्मान की दृष्टि से देख रहे हैं, कैसे आपके जीवन में खुशी एवं उत्साह आ रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि अब आप पूरी तरह से कॉन्फिडेंट व्यक्ति बन गए हैं। इस प्रकार आप अन्य सद्गुण जैसे साहस, दृढ़ संकल्प, प्रेम, उत्साह जैसे गुणों को अपने व्यक्तित्व में कल्टीवेट कर सकते हैं।