कोरोना को मात देकर लौटा लिटिल चैंप, फिर खेलने लगा फुटबॉल
स्वास्थ्य विभाग में एएनएम दादी ड्यूटी के दौरान सेवा करते हुए पॉजिटिव हुई, बाद में 7 साल का पोता भी
- मदन कलाल -
जयपुर। फुटबॉल खेल रहे इस नन्हे बच्चे को बेहद गौर से देखिए। पहली कक्षा में पढ़ने वाला कुशाग्र है ये। कोरोना से खौफ खाने वाले देश-दुनिया के लिए रोल मॉडल। कोरोना पॉजिटिव निकला, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। करीब 20 दिन हॉस्पिटल में गुजारने के बाद चैंपियन बनकर लौटा है। अब घर में फिर फुटबॉल के साथ। हर पल गहरी आशंकाओं के बीच इतने दिन हॉस्पिटल से मम्मी-पापा को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर हिम्मत दिलाता रहा- मैं मस्त हूं, मस्त होकर लौटूंगा मम्मा। जयपुर के इस लाडले को देखकर कोरोना से खौफ खाने वालो में जरूर से नई जान आएगी। कुशाग्र बड़ी मासूमियत से हर किसी से अपील करता है-जब मैं इतना छोटा बच्चा कोरोना को हरा सकता हूं तो आप क्यों नहीं? वह कहता है- डरो नहीं। हिम्मत रखो, खुद डर कर भाग जाएगा कोरोना। कुशाग्र तुम्हें हमारा सैल्यूट।
जल्दी उठता, खुद कपड़े धोता, पानी गर्म कर पीता कुशाग्र :
कुशाग्र की दादी सुषमा मेडिकल डिपार्टमेंट में हैं। इस 31 मार्च को सेवा से रिटायरमेंट था। कोरोना के चलते ड्यूटी एक्सटेंड कर दी गईं। इधर वे कोरोना पीड़ितों की सेवा करते हुए पॉजिटिव हो गई। पूरा परिवार क्वॉरेंटाइन हो गया। परिवार-रिश्तेदारों को छोड़कर दादी के साथ कुशाग्र भी पॉजिटिव निकला। दादी-पोता अब हॉस्पिटल में! एक पल मां के बिना नहीं रहने वाला कुशाग्र न जाने कहां से इतनी हिम्मत बटोर लाया। वार्ड में मरीजों के साथ भर्ती यह नन्हीं जान खुद अपने कपड़े धोता, पानी गर्म करता, मोबाइल से खेलता रहता। कई बार रोते हुए अनमने ढंग से खाना भी खाया। फिर संभल कर भगवान को याद करता। हॉस्पिटल स्टाफ भी उसकी हिम्मत की दाद देता रहा। दादी का गाइडेंस दूर से उसे मिलता रहता। पापा गौरव कहते हैं- नई जिंदगी पाकर लौटा है मेरा कुशाग्र। कुशाग्र की हिम्मत ने मेरा सीना फक्र से चौड़ा कर दिया। मां कह रही है- वाकई में चैंपियन है मेरा बेटा। फिलहाल दादी-पोता घर में क्वॉरेंटाइन हैं।