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इसे आपदा को अवसर में बदलना नहीं, प्यास लगने पर कुआं खोदना बोलते हैं...

- संजीव माथुर -


लॉकडाउन के 49वें दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा- 'भारत में जब कोरोना संकट शुरू हुआ तो एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति यह है कि भारत में हर रोज 2 लाख पीपीई और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाए क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया।' सुनकर आश्चर्य हुआ.... सुखद आश्चर्य नहीं, बल्कि एक झकझोर देने वाला आश्चर्य। एक तो हम दिसंबर 2019 के अंत में पड़ौसी चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस के खतरे को समय रहते समझ नहीं पाए, जरूरी तैयारियों जैसे पीपीई किट-मास्क आदि पर ध्यान ही नहीं दिया, इसके विपरीत करीब दो महीने बाद जब भारत में केसों की संख्या अचानक बढ़ती दिखी तब पीपीई किट-मास्क का उत्पादन/इंतजाम करने लगे और इसे आपदा को अवसर में बदलना बता रहे हैं? इसे तो प्यास लगने पर कुआं खोदना बोलते हैं!
मुझे याद आता है कि गत 16 फरवरी को जयपुर में एक कैंसर अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किया गया था। मैं भी उसमें आमंत्रित था। इसमें कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर साहब प्रतिभागियों से सीधा संवाद कर रहे थे और उनकी शंकाओं का समाधान कर रहे थे। लेकिन एक प्रतिभागी बीच-बीच में डॉक्टर साहब से कोरोना से बचाव के तरीके पूछते रहे। डॉक्टर साहब ने उनके भी जवाब दिए। यह वो दौर था जब भारत में 30 जनवरी को पहला केस केरल में सामने आ चुका था और उसके बाद इक्का-दुक्का केस आने लगे थे। खैर, उसके बाद भी 24 फरवरी को अहमदाबाद में 'नमस्ते ट्रम्प' में शामिल 'महामानवों' को अंदाजा ही नहीं था कि उनके देशों में क्या होने जा रहा है? 'हाउडी मोदी' के बदले 'नमस्ते ट्रम्प' होना ही था, लेकिन टाइमिंग को कोई समझ नहीं पाया या समझना चाहता नहीं था, वरना क्या यह संभव है कि 16 फरवरी को जयपुर का एक सामान्य नागरिक कैंसर अवेयरनेस प्रोग्राम में कोरोना से बचाव के तरीके पूछे और हम नमस्ते-नमस्ते करते-करते कोरोना के संभावित खतरे को ना समझ पाए हों? और यदि वास्तव में ऐसा है तो और भी गंभीर बात है। जब सालों से ऐसी आशंका सुनते आ रहे हों कि अगला विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा। यदि इसको इस नजरिये से ना भी देखें तो चीन से आ रही कोरोना की भयावह रिपोट्र्स पर संबंधित मंत्रालयों ने ध्यान क्यों नहीं दिया? यदि समय रहते समझ में आता तो हवाई सीमाएं सील करना ही काफी होता। जो आज देश को लॉकडाउन करने के साथ करना पड़ा है। यदि कोई इसे वैश्विक हालात से तुलना करके हमारे शासन का बचाव करता है तो उसे यह जरूर सोचना चाहिए कि आज हम अब तक के सबसे दूरदर्शी नेतृत्व की छत्रछाया में हैं! विश्व गुरु बनने के लिए किसी समकक्ष सोच से ऊपर उठना पड़ेगा!



पुनश्च : लॉकडाउन के 50वें दिन प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में पीएम केयर फंड से 3100 करोड़ रुपए दिए जाने की घोषणा की गई है। इनमें से 2000 करोड़ रुपए वेंटिलेटर खरीद के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे। वहीं, 1000 करोड़ रुपए का इस्तेमाल प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए किया जाएगा और 100 करोड़ रुपए वैक्सीन के डवलपमेंट पर खर्च किए जाएंगे। यह घोषणा सुनकर भी आश्चर्य हुआ क्योंकि ऐसा अंदाजा था कि लॉकडाउन की शुरुआत के साथ ही शुरू हुए इस फंड से तत्काल मदद दी ही जा रही होगी... लेकिन 50 दिन बाद प्रवासी मजदूरों के लिए जारी रकम उन्हें कब और कितनी राहत दे पाएगी, यह समय ही बताएगा।



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