रियासत व अंग्रेजों के दौर में जयपुर की आम जनता के बीच नया साल मनाने का कोई रिवाज नहीं था। लेकिन 1 जनवरी 1919 को जयपुर में मनाया गया नए साल का जश्न यादगार है। जश्न की रात पूरा शहर तोपों की आवाज से गूंज उठा था। दरअसल प्रथम विश्व युद्ध में विजय की खुशी में अंग्रेजों व रियासत ने मिलकर इसे मनाया था। शोरगरों ने नाहरगढ़ की पहाड़ी से इंग्लैंड का बकिंघम पैलेस, बादशाह जार्ज पंचम और क्वीन मैरी के चित्रों को आतिशी रोशनी से उकेरा था। बाजारों, किलों आदि को गैस की रोशनी से सजाया गया था। 1899 व 1900 में देशव्यापी अकाल की वजह से नए साल का जश्न नहीं मनाया गया था। चूंकि आम जनता में नववर्ष मनाने का रिवाज ना होने की वजह से सर्दी में वे रात को जल्दी सो जाते थे। वहीं दूसरी ओर जयपुर होटल, न्यू होटल, रुस्तमजी का रॉयल होटल, केसर-ए-हिंद होटल और जयपुर क्लब में अंग्रेज परिवार के साथ डांस और डिनर पार्टियों में शामिल होते थे। हालांकि कुछ लोग मंदिरों में भजन करते और बड़ो के साथ गरम खिचड़े का भोग लगाते थे। #1