जयपुर। सांभर झील एवं इसके भराव क्षेत्र में पिछले दिनों से अचानक मृत पाये जा रहे प्रवासी एवं देशी पक्षियों की मौत का कारण एवियन बोच्यूलिज्म पाया गया है, जो कि क्लोस्टिूडियम बोच्यूलिज्म (Clostridium botulism) नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह जानकारी देते हुए राज्य के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली(उप्र) की आज प्राप्त रिपोर्ट में इस रोग की पुष्टि हो गयी है। उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट से राज्य के पशुपालन विभाग द्वारा पक्षियाें की असामयिक मृत्यु के नियंत्रण के लिए उठाये जा रहे कदम सही प्रमाणित हुए हैं एवं पशु चिकित्सकों द्वारा बीमार पक्षियों के किये जा रहे उपचार की भी पुष्टि हो गयी है।
पशुपालन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं इस मामले की दैनिक मॉनिटरिंग कर रहे हैं एवं इस सम्बन्ध में विभिन्न विभागों के साथ कई बैठकें भी कर चुके हैं तथा केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को बीमार पक्षियों की उत्तरोत्तर जांच के लिए भी अनुरोध कर चुके हैं। कटारिया ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा अब तक 735 बीमार पक्षियों का उपचार किया गया है जिनमें से 368 जीवित हैं जबकि 36 को पुनः आकाश में छोडा जा चुका है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा प्रभावित क्षेत्र से मृत पक्षियों को एकत्र कर शवों का वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारण किया जा रहा है एवं बीमार एवं लकवाग्रस्त पक्षियों को उपचार उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिससे पक्षियों के हताहत होने की संख्या में कमी आयी है।
कटारिया ने बताया कि पक्षियों के बीमार होने की सूचना प्राप्त होते ही विभाग द्वारा तुरन्त कार्यवाही करते हुए 20 चिकित्सा दलों का गठन किया गया जिसमें 20 वेटरनरी डाक्टर, 74 पशुधन सहायक एवं 4 आपातकालीन चल चिकित्सा इकाइयों को सांभर झील और आसपास के भराव क्षेत्र में पक्षियों के उपचार हेतु तैनात किया गया था। उन्होंने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा प्रभावित क्षेत्र में दो स्थानों को चिन्हित कर मृत पक्षियों के शवों का वैज्ञानिक रूप से निस्तारण किया जा रहा है तथा मौके पर तीन राहत केन्द्र- काचरोदा, रतन तालाब एवं नावां में स्थापित किये गये हैं जहां पर बीमार पक्षियों को उपचार हेतु पशुपालन विभाग एवं वन विभाग की विशेष देखरेख में रखा जा रहा है।
कटारिया ने बताया कि सांभर झील एवं उसके भराव क्षेत्र के आसपास बीमार पाये जा रहे पक्षियों के लिए दवाइयों की समुचित व्यवस्था की जा चुकी है एवं स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। विभाग के सचिव डा. राजेश शर्मा एवं विभाग के निदेशक डा. शैलेश शर्मा एवं अन्य सम्बद्ध अधिकारीगण प्रभावित क्षेत्र का निरन्तर दौरा कर राहत एवं उपचार कार्याें का प्रभावी पर्यवेक्षण कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 14 नवम्बर को ही वेटरनरी विश्वविद्यालय, बीकानेर के तकनीकी विशेषज्ञों के दल ने प्रोफेसर डा. अनिल कटारिया के नेतृत्व में प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और उनकी रिपोर्ट में क्लोस्टिूडियम बोच्यूलिज्म (Clostridium botulism) के जीवाणु संक्रमण को रोग का प्रमुख कारण बताया गया था, जिसकी आज पुष्टि हो गयी है। उधर, राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल द्वारा भी प्रभावित पक्षियों में बर्ड फ्लू रोग नहीं होना पाया गया था।