जयपुर। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की शासन सचिव मुग्धा सिन्हा ने कहा कि महिला शोधार्थियों को टिस्क (टेक्नोलॉजी एण्ड इनोवेशन सपोर्ट सेन्टर) से जोड़ा जाएगा ताकि उनको अपने उत्पाद के पेटेंट करने के दौरान ड्राफ्टिंग, ट्रेडमार्क एवं डिजाइन की निःशुल्क सुविधा मिल सके। इस सुविधा से शोधार्थी की व्यय होने वाली 50 हजार से 2 लाख रुपए तक की फीस सरकार द्वारा वहन की जाएगी। सिन्हा शुक्रवार को यहां बिड़ला साइंस टेक्नोलॉजी सेन्टर में जयपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर, टोंक सहित अन्य जिलों में संचालित 20 विश्वविद्यालयों के महिला शोधार्थी, महिला प्रोफेसर एवं लॉ की छात्राओं को बौद्धिक सम्पदा अधिकार, कॉपीराइट एवं पेटेंट पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि पेटेंट के मामले में स्टार्टअप को ही टिस्क से निःशुल्क सुविधा प्रदान की जा रही थी, लेकिन अब महिला शोधार्थी को भी यह सुविधा मिलेगी।
शासन सचिव ने कहा कि कई महिला शोधार्थी विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में कार्य करते हुए घरेलू परिस्थितियों के कारण कुछ समय तक इस कार्य से अलग रहती है। ऎसे शोधार्थियों को महिला वैज्ञानिकों के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है ताकि उनको स्वरोजगार से जोड़ा जा सके एवं आसानी से नौकरी भी प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं तकनीक एक भविष्य है जो आज निवेश कर रहे है वह भविष्य का फल है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य रोजगार से रोजगार देने की तरफ होना चाहिए ताकि जिससे आज भारत के 909 विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 3.50 करोड़ विद्यार्थियों को भी समय रहते उचित राह मिल सके। उन्होंने कहा कि विज्ञान का बहुत बड़ा क्षेत्र है और जानकारी एवं सुविधा के अभाव में विद्यार्थी आगे नहीं बढ़ पाता है। उन्होंने कहा कि कई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं शोधार्थी छात्र-छात्राएं जयपुर नहीं आ सकते। अतः उनके लिए उनके विश्वविद्यालयों में पेटेंट, बौद्धिक सम्पदा एवं कॉपीराइट के बारे में जानकारी मिल सके, इसके लिए विशेषज्ञों को विश्वविद्यालय में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति के इस ऑनलाइन दौर में मूल रचना किस प्रकार सुरक्षित रहे ताकि समाज को फेयर यूज करने का अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में चुनौतियां बहुत है जिसे आपस में जुड़कर ही हल किया जा सकता है।